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झुन्नू भाईजी शहर से मौसम की खबर लायें है
कहते है गर्मी में इस बार सड़कें पिघल जायेंगी
सूरज को सहते सहते तारकोल परेशां हो गया है
उस का अब रोड़ी छोड़ के किनारों पे बह जाना
मात्र एक घटना है कोई आश्चर्य नहीं
ये भी कहता है झुन्नू
सर्दी में इस बार भावनाएं जम जायेंगी
सर्द रत से ठन्डे ठन्डे चेहरे होंगे
और बर्फ के ढेले सी पथराई ऑंखें
फिर कौन किस से रिश्ता बनाएगा
झुन्नू झूठ नहीं कहता
सर्दी का हर रंग
चेहरों पे उतर जायेगा
यह भी खबर है की सावन में
सावन गीत नहीं गाये जायेंगे
सावन में इस बार बादल अंगारे बरसाएंगे
यदि नैनों का नीर सूख सकता है तो
बादलों पर आरोप कैसा
सावन में कुछ बरसना तो आवश्यक है
इस बार अंगारे ही सही
ये भी कहा है झुन्नू ने
वसंत में चरों तरफ दर्द के फूल खिलेंगे
गमलों में ज़ख्मों की कलम लगा दी थी
तो गुलाब कहाँ से मिलेंगे
इसी लिए बसंत में चारो तरफ बस दर्द के फूल खिलेंगे
और वसंत तो केवल फूल देता है
फूलों के नाम नहीं देता
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