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हमनफस- ए बेखबर

nishantjha
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ढूंढ़ता हूँ अब दर -ब -दर ,पाने को तेरी इक नज़र ,
मुश्किल है नामुमकिन सी ,पर है वही मेरी डगर ,

याद़ों की तेरी काशिश ,महका रही मेरा कारवाँ ,
कट जायेगा अब रास्ता ,मेरी हमनफस ए बेखबर ,

जुनूं तेरा दिल में लिये ,घर से हम चल तो दिए ,
जाने कब तक चलना है ,लम्बा है तुम बिन सफ़र ,

मंजिल होती कदमों में ,जब होता कोई हमराही ,
तलाश तमाम हो जाती ,तुमसा कोई मिलता अगर ,

एक दौर गुजर चूका ,शाम यूं ही ना ढल जाये ,
सुनले मेरी या रब्बा ,दिखा उन दुआओं का असर .

निशांत ……………

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